भारतीय संस्कृति के विराट वैभव का अनावरण होता है-सांस्कृतिक नगरी उज्जयिनी में बारह वर्षों में एक बार होने वाले सिंहस्थ जैसे विश्वस्तरीय आयोजन में। यहां ऊर्जा का विस्तार और आध्यात्मिकता का संगम होता है। यह संगम किसने किया? दूर-दूर तक बसे मानव को मानव से जोड़ने का यह यत्न कैसे, कब और किसने किया? वर्षों बीत जाने पर भी श्रध्दा और विश्वास ज्यों का त्यों अडिग कैसे रह जाता है? यह जानने की उत्सुकता है यह उपन्यास।
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मेरा उपन्यास "नतोहम्" अटलबिहारी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल के स्नातक पाठ्यक्रम में शामिल होना निश्चय ही गौरव की बात है। |
यही कामना है।
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