सभी को महिला दिवस की अनंत शुभकामनाएं ।
आने वाले समय में सार्थक बदलाव की कामना के साथ प्रस्तुत है ये कविता
लड़कियां
लड़कियां, पंजों के बल
उंची खड़ी होकर
अमरूद तोड़ लेती हैं ।
और कुछ अमरूद, पेड़ पर चढ़कर भी ।
अमरूद तोड़ने के लिए
मौका आने पर
दीवार पर भी चढ़ जाती हैं, लड़कियां ।
और लोहे के नुकीले, सरियों वाले
फाटक भी उलांघ जाती हैं ।
जतन से बटोरे अमरूदों की पूंजी को
दुपट्टे में सहेजकर
सोचती हैं लड़कियां,
बड़ी होकर वे ठीक इसी तरह
पंजों के बल खड़ी होकर,
आकाश की अलगनी से
इंद्रधनुष खींचकर
अपना दुपट्टा बना लेंगीं ।
आने वाले समय में सार्थक बदलाव की कामना के साथ प्रस्तुत है ये कविता
लड़कियां
लड़कियां, पंजों के बल
उंची खड़ी होकर
अमरूद तोड़ लेती हैं ।
और कुछ अमरूद, पेड़ पर चढ़कर भी ।
अमरूद तोड़ने के लिए
मौका आने पर
दीवार पर भी चढ़ जाती हैं, लड़कियां ।
और लोहे के नुकीले, सरियों वाले
फाटक भी उलांघ जाती हैं ।
जतन से बटोरे अमरूदों की पूंजी को
दुपट्टे में सहेजकर
सोचती हैं लड़कियां,
बड़ी होकर वे ठीक इसी तरह
पंजों के बल खड़ी होकर,
आकाश की अलगनी से
इंद्रधनुष खींचकर
अपना दुपट्टा बना लेंगीं ।