रविवार, 6 फ़रवरी 2011

लड़की की मुट्ठी में --- मीनाक्षी स्वामी

लड़की की मुट्ठी में   
                               
लड़की नहीं जानती
लड़की की ताकत
लड़की है नदी,
लड़की है झरना,
लड़की है पहाड़,
लड़की है पेड़,
पेड़ की डाल है लड़की
पेड़ से कटकर भी जलती है, लड़की
अलाव की आग बनकर
सुलगती है, लड़की
सुलग-सुलगकर राख नहीं होती है
सुलग-सुलगकर बनती है, लड़की
दहकता हुआ अग्निपुंज
और खाक कर देती है
समूचे डरावने जंगल को
लड़की मुट्ठी में
बंद हैं बीज
बीज सपनों के, फलों से लदे-फंदे
उंगलियों के इशारों पर
तय करती है, लड़की
हवाओं की दिशाएं
लड़की की खिलखिलाहट
लौटा लाती है बसंत

16 टिप्‍पणियां:

  1. लड़की की संवेदना को बहुत सशक्त शब्द दिए हैं आपने ....आपका आभार

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  2. लड़की की खिलखिलाहट
    लौटा लाती है बसंत..

    बहुत भावपूर्ण सार्थक प्रस्तुति..काश सभी लडकी के प्यार और सहनशक्ति को समझ पाते और समाज में उसे वह स्थान देते जिसकी वह हक़दार है.

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  3. जब दुख: की गागर रीत जाए
    तब मिलता है सुख का सागर

    सुंदर भावपूर्ण कविता के लिए आभार

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  4. bahut sundar. dhanyawad badhiya kavita ke liye.Subhakamanayen.

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  5. बहुत सुन्दर कविता के लिए आपको बधाई |शुभकामनायें

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  6. सुंदर भावपूर्ण कविता के लिए आभार|

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  7. लड़की की खिलखिलाहट
    लौटा लाती है बसंत
    koi shak nahi

    जवाब देंहटाएं
  8. bahut kuch kahti kavita ... apni yah kavita vatvriksh ki khatir rasprabha@gmail.com per bhejiye parichay tasweer blog link ke saath ...

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  9. आदरणीया डॉ.मीनाक्षी जी स्वामी
    सादर सस्नेहाभिवादन !

    बहुत सुंदर रचना के लिए आभार !

    लड़की की खिलखिलाहट
    लौटा लाती है बसंत

    काश !
    हर लड़की की खिलखिलाहट महफ़ूज़ रहे
    ताकि कायम रहे बसंत के आने का सिलसिला …

    प्रेम बिना निस्सार है यह सारा संसार !
    प्रणय दिवस मंगलमय हो ! :)

    बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  10. girls are best !aapki rachna bahut achchhi lagi .inte achchhe blog is blog sagar me samaye rahte hai ,gota lagane par hi milte hai .shubhkamnaye .

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  11. उंगलियों के इशारों पर
    तय करती है, लड़की
    हवाओं की दिशाएं
    लड़की की खिलखिलाहट
    लौटा लाती है बसंत

    कविता की अंतिम पंक्तियों में आशावादी दृष्टिकोण मुझे बहुत पसंद आया.बधाई .

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