बुधवार, 30 मार्च 2011

बेटियां

श्रीमती रश्मि दीक्षित, होशंगाबाद की यह कविता हाल ही में मैनें पढ़ी । मुझे अच्छी लगी, आप सबको भी अच्छी लगेगी

बोए जाते हैं बेटे उग जाती हैं बेटियां,
खाद पानी बेटों में पर लहलहाती हैं बेटियां ।

एवरेस्ट तक ठेले जाते हैं बेटे पर चढ़ जाती हैं बेटियां,
रूलाते हैं बेटे और रोती हैं बेटियां ।
   
कई तरह से गिराते हैं बेटे पर सम्हाल लेती हैं बेटियां,
पढ़ाई करते हैं बेटे पर सफलता पाती हैं बेटियां ।

कुछ भी कहें पर बेटों से अच्छी होती हैं बेटियां ।

20 टिप्‍पणियां:

  1. Minakshi ji bahut achchhi Rashmi ji kavita prastut ki hai aapne .prastutikaran ke liye aapko v itni shandar rachna ke liye Rashmi ji ko hardik shubhkamnayen .

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  2. गजब कि अभिव्यक्ति है । Thanks for sharing with us.

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  3. इसे मैंने पहले भी कहीं पढ़ा है, पर याद नहीं आ रहा। यह कविता पूरी नहीं है।
    *
    बहरहाल मीनाक्षी जी यह कविता लिंगभेद का विरोध करने की बजाय बढावा देती ही लगती है। हमें अपने लेखन में ही नहीं किसी और के लेखन में भी इस बात का ध्‍यान तो रखना ही चाहिए कि कहीं आप अतिरेक में उसी बात को स्‍थापित तो नहीं कर रहे,जिसका विरोध करना चाहते हैं।

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  4. कुछ भी कहें पर बेटों से अच्छी होती हैं बेटियां ।

    एक शाश्वत यथार्थ को दर्शाती हरेक पंक्ति दिल को छू जाती है..बहुत सुन्दर..नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें!

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  5. आप वाली ये कविता आदरणीया बहन डॉक्टर सुमन जी जो कि पतंजलि योग समिति कि केन्द्रीय प्रभारी है ,उनके द्वारा भी सुनी है | अच्छा लगा पुन पढकर

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  6. मीनाक्षी जी, आपकी शुभ-कामनाओं के लिये आभारी हूँ । यह कविता मैंने भी पढी है । अच्छी है पर मैं आपकी अपनी रचनाओं की प्रतीक्षा करूँगी ।

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  7. कविता बहुत अच्छी है . और सच भी यही है ,

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  8. पिता के लिये बेटी से बड़ा कॊई वरदान नही

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  9. इसे मैंने पहले भी कहीं पढ़ा है....
    कविता बहुत अच्छी है . और सच भी यही है...
    मेरी ओर से आपको हार्दिक शुभ कामनाएं

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  10. minakshi ji sadr prnam
    aap ka bhut 2 hardik aabhar vykyt krta hoon kripya swikar kren
    indaur me mere ek anrtrashtry pramnauvigyani mitr bhi rhte hain dr.k.s rawt goyl ngr me ve aaj kl indor ke rchnakaron ka ek snkln bna rhe hain smbhvt:us me abhi shayd sthan hai aap ydi kvitayen krti hai to un se smprk kr len
    mera kee bord ke nmbr kam nhi kr rhe nhi to un ka nmbr de deta
    aap chahen to mujhe apna nmbr mere mail pr bhej de main aap ko un ka nmbr sms kr doonga
    mail: dr.vedvyathit@gmail.com

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  11. नमस्कार जी
    आप की बात से पूर्ण रुप से सहमत हूं

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  12. एक सच को पढवाया है ... अच्छी लगी रचना ... बेटियाँ ऐसी ही होती हैं .

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  13. बोए जाते हैं बेटे उग जाती हैं बेटियां,
    खाद पानी बेटों में पर लहलहाती हैं बेटियां ।


    bahut pasand aaya

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  14. सुन्दर भाव .............अच्छी पंक्तियाँ ....
    मेरा ब्लॉग पढने और जुड़ने के लिए क्लिक करें.
    http://dilkikashmakash.blogspot.com/

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  15. वाह........बिलकुल सही....मेरे मन की बात कह दी...

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  16. मेरी एक कविता की कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत कर रही हूँ....
    बेटे की जगह आज अगर बेटी पाती
    वृद्ध आश्रम की कल्पना ही नहीं आती!!
    आओ आज एक प्रण लें सब मिलकर
    अगर देश में है नया काया कल्प लाना
    तो बेटी को है बचाना!बेटी को है बचाना!!

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