अखिल भारतीय विद्वत परिषद्, वाराणसी, कादम्बरी पुरस्कार
Kadambari Award by Akhil Bhartiya Vidvat Parishad, Varanasi.
साहित्य अकादमी म.प्र. के बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ पुरस्कार व अखिल भारतीय विद्वत परिषद्, वाराणसी के कादम्बरी पुरस्कार से सम्मानित कृति
"भूभल" बलात्कार के कानूनी पहलू पर केन्द्रित हिंदी का पहला उपन्यास
‘भूभल’ अर्थात चिंगारियों से युक्त गर्म राख, निरंतर प्रज्जवलित रखने के लिए इसमें कंडा (उपला) दबा दिया जाता है और इसे जब चाहे हवा देकर फिर से लौ बनाया जा सकता है। उपन्यास की नायिका अपने भीतर मौजूद चेतना की अग्नि से विवशताओं, विरोधाभासों के प्रवाह को मोड़कर अपने समय और समाज के बीच उस अग्नि को प्रज्जवलित रखती है, जो धीरे-धीरे लौ बनने को आतुर है। स्त्री स्वतंत्रता से जुड़ा अहम प्रश्न है दैहिक स्वतंत्रता का। इस संदर्भ में सदा यही बात उठती है कि वह अपने चाहने पर किसी से संबंध बना पाती है या नहीं?
मगर इससे भी अधिक महत्व का प्रश्न यह है कि न चाहने पर स्त्री इसे रोक पाती है या नहीं? किसी महिला के साथ जबरिया यौन संबंध वैश्विक परिदृश्य का दिल दहला देने वाला सच है। इसका सामाजिक पहलू तो कड़वा है ही, कानूनी पहलू भी स्त्री के पक्ष में खड़ा होने के बावजूद उसे शिकार बनाने के इस खेल में अनजाने ही शामिल हो जाता है। उपन्यास इस कड़वे, निर्वसन सत्य को बेबाकी से सामने रखता है।
चर्चित लेखिका के पास कथ्य है, तथ्य हैं, मार्मिक पक्ष को देखने की अनुपम दृष्टि है। इस साहसिक, विचारोत्तेजक, मार्मिक उपन्यास से गुजरते हुए पाठक कहीं आक्रोशित होंगे तो कहीं उनकी आत्मा करुण क्रंदन करेगी, फिर भी वे इसे एक बार में पढ़ने को विवश होंगे।
उपन्यास की विषय वस्तु बिल्कुल नई है और पृष्ठभूमि कानूनी। कानून जैसे शुष्क विषय काव्यात्मकता और कलात्मकता का आस्वाद कायम रहने से उपन्यास बेजोड़ बन गया है।
प्रकाशक - सामयिक प्रकाशन, दिल्ली
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